म्हारी माँ जिनवाणी थारी तो जय जयकार |
चरणा मा राखी लीजो, भव सागर तारी दीज्यो ।
कर दीज्यो इतनो उपकार, थारी तो जय जयकार ।।(1)
कुंदकुंद सा थारा बेटा, दुखड़ा सब जग का मेटा ।
राच्यो समय को सार, थारी तो जय जयकार ।।(2)
शरणा जो तेरी आये, भवसागर से तिर जाये ।
तू ही हैं तारन हार, थारी तो जय जयकार ।।(3)
गणधर किन्नर गुण गाते, मुनिवर भी ध्यान लगाते ।
गाते सब तेरा गुणगान, थारी तो जय जयकार ।।(4)
जिसने भी तुझको ध्याया, आतम का सुख हैं पाया ।
आतम की महिमा अपार, थारी तो जय जयकार ।।(5)
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