मति भोगन राचौ जी, भव-भव में दुख देत घना || टेक ||
इनके कारन गति गति मांही नाहक नाचौ जी |
झूठे सुख के काज धरम में पाड़ौ खांचौं जी || १ ||
पूरब कर्म उदय सुख आया, राजौ माचौ जी |
पाप उदय पीड़ा भोगन में, क्यौं मन काचौ जी || २ ||
सुख अनंत के धारक तुम ही, पर क्यौं जांचौं जी |
‘बुधजन’ गुरु का वचन हिया में, जानौ सांचौ जी || ३ ||
Artist : कविवर पं. बुधजन जी