मस्तक हमारा नत सदा | Mastak Humara Nat Sada

मस्तक हमारा नत सदा स्वीकार करो माँ ।
संसार के सागर से बेड़ा पार करो माँ ।
हे माँ जिनवाणी-2||

हैं पुत्र कुन्दकुन्द से गणधर से हैं भईया ।
है समयसार सा महल और तीर्थंकर से सईंया ।
उस ज्ञान की गंगा का संचार करो माँ ॥ संसार… ॥1॥

राजा भी आये रंक भी माँ मिल तोरे आंगन ।
समभाव है सबके लिये समता का है सावन ।
अर्पित है सुमन श्रद्धा के स्वीकार करो माँ ॥संसार…॥2॥

आता है भक्तिभाव से जो तेरी शरण में ।
मिलता है सच्चा सुख माँ तेरे चरणों में ।
भक्तों का आतम ज्ञान से भंडार भरो माँ ॥ संसार… ॥3॥

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