मानी-गुमानी | Mani-Gumani

एक थी मानी, एक गुमानी,
दोनों करतीं खींचा-तानी,
बुरा कहें या कहें सयानी,
कहने में बुद्धि चकरानी ।।
2.
पाठ न पढ़तीं मंदिर में,
ठाठ दिखातीं मंदिर में,
धक्का देती मंदिर में,
गोली खाती मंदिर में ।।
3.
बात-बात में लगीं अकड़ने,
आपस में फिर लगीं झगड़ने,
मुट्ठी भिंच गई दोनों को,
आँखों चिढ़ गईं दोनों कीं ।।
4.
इसने उसको मारा घूँसा,
उसने इसको पकड़ के दूँसा,
इसने उसको पटक के पीटा,
उसने इसको पकड़ घसीटा ।।
5,
मानी मारे तड़-तड़-तड़,
गुमानी मारे पड़-पड़-पड़,
तड़ तड़ तड़, पड़ पड़ पड़,
पड़ पड़ पड़, तड़ तड़ तड़।।
6.
उसने इसको उठा के पटका,
इसने उसको पकड़ के झटका,
बहुत समय लड़ने में बीता,
न कोई हारा, न कोई जीता।।
7.
देख रही थी भीड़ तमाशा,
लेकिन रोका नहीं जरा-सा,
पाठशाला की दीदी आई,
उनसे प्रेम की शिक्षा पाई ।।
8.
उन दोनों को अलग कराया,
बड़े प्रेम से फिर समझाया,
समझ के दोनों गले मिले,
मन में प्रेम के फूल खिले।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी