मंगल-प्रभात | Mangal Prabhat

मंगल-प्रभात

मंगल प्रभात मंगल प्रभात, मेरे भी जीवन में हो सुप्रभात॥ टेक
मोह अंधेरा दूर भगे प्रभु, ज्ञान भानु का होय प्रकाश ।।
देव-धर्म-गुरु सम्यक् जानूँ, तत्त्वों का होवे विश्वास ।। 1

भेदज्ञान अंतर में वर्ते, स्वानुभूति हो मंगलकार।
भाव विशुद्धि बढ़ती जावे, सहजपने हो तत्त्व विचार ।। 2

क्षण-क्षण घटें कषायें हमारी, दूर होंय सब पापाचार।
दृढ़ संयम प्रगटावें स्वामी, कभी नहीं हो शिथिलाचार ।। 3

आत्मध्यान आनंदमय होवे, कर्म नशावें हे जिनराज । भक्तिभाव से शीश नवावें, सफल होंय मेरे सब काज ।। 4

Artist:- Br. Ravindra ji ‘Atman’