माँ धरम की पुस्तक दे दे,
मैं पाठशाला जाऊँ।
सब जीवों की दया पाल कर,
सच्चा जैन कहाऊँ।।
छोटी-सी धोती पहनूँगा,
और करूँगा पूजा।
स्वाध्याय से समकित लेकर
काम करूँ न दूजा।।
और मुझे ते आज्ञा दे दे
मुनिराज बन जाऊँ।
अपने में ही लीन होकर,
मैं भगवान बन जाऊँ।।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी