मैं क्या माँगू भगवान, मैं तुमसे क्या माँगू?
मेरे रोम रोम में बस जाओ भगवान और मैं क्या माँगू।।टेक।।
धन न माँगू भगवन्, मान न माँगू
झूठे जग की शान न माँगें।
देना हो तो दे दो भगवन्,
अपने को जिन धाम और मैं क्या माँगू ।।१।।
हे प्रभु तुम तो अन्तर्यामी,
पार करो ये नाव हमारी।
दया करो हे दया सिंधु भगवान,
करो कल्याण,और मैं क्या माँगू।।२।।
तुम तो सारे जग के रखवारे,
तुम तो हो सबके जाननहारे।
दो ऐसा वरदान प्रभुजी,
चरणों में रहे ध्यान
और मैं क्या माँगू।।३।।