मगन रहु रे! शुद्धातम में मगन रहु रे || टेक ||
राग दोष पर को उत्पात, निहचै शुद्ध चेतना जात |
विधि निषेध को खेद निवारि, आप - आप में आप निहारि || १ ||
बंध मोक्ष विकलप करि दूर, आनंद कन्द चिदातम सूर |
दरसन ज्ञान चरन समुदाय, ‘घानत’ ये ही मोक्ष उपाय || २ ||
Artist- पं. घानतराय जी