मम्मी गयीं जब मंदिर, हेमा गुड्डू घर के अआंदर।
हेमा ने अलमारी खोली, गुड्डू से धीरे से बोली।।
मैं कुर्सी पर चढ़ जाती हूँ, लड॒डू डेढ़ चुरा लाती हूँ।
तुम कुर्सी को पकड़े रहना, मम्मी-पापा से मत कहना।।
हेमा कुर्सी से उछली, उस पर बैठी थी बिल्ली।
हेमा बिल्ली गिरे धड़ाम, लड़डू का हो गया काम तमाम ।।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी