आशाओं का हुआ खातमा दिली तमन्ना धरी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
करना करना आठों पहर ही मूरख पूक लगाता है,
मरना मरना मुझे कभी नहीं शब्द ज़बा पर लाता है,
पर सब ही है मरने वाले, बात किसी की नहीं रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
इक वकील ऑफिस में बैठे सोच रहे यू अपने दिल,
फला दफा पर बहस करूँगा पॉइंट मेरा ये बड़ा प्रबल,
इधर कटा वारंट मौत का, कल की पेशी धरी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
जेन्टलमैन एक वक्त शाम को रोज़ घूमने जाते थे,
तीन चार थे दोस्त साथ में सब पर अकड़ दिखाते थे,
लगी जो ठोकर गिरे बाबूजी, छड़ी हाथ में धरी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
इक पंडितजी पत्रिका लेकर गणित हिसाब लगाते थे,
फला ग्रहों का चक्कर वक्कर सबको मूर्ख बनते थे,
आया समय चले पंडितजी, पत्री कर में रखी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
एक सेठजी दुकान में बैठे जमा खर्च सब जोड़ रहे,
कितना लेना कितना देना बड़े गौर से खोज रहे,
आया समय चले सेठजी, कलम कान में लगी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
इक मॉडर्न सी लड़की अपने कॉलेज में नित जाती थी,
तरह तरह के गहने-कपड़े सब पर रौब जमती थी,
गिरी इस तरह जब मैडमजी, घड़ी हाथ में लगी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
इक नेताजी खड़े मंच पर गप्पे खूब लगाते थे,
ये कर दूंगा वो कर दूंगा बातें खूब बनाते थे,
हुआ जो बम विस्फोट तो देखो, तिरछी टोपी लगी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
इक सासुजी अपनी बहु को गाली खूब सुनाती थी,
नये नये बहाने लेकर बेलन खूब दिखाती थी,
अपना बेलन लगा जो सर पर, गाली मुँह में धरी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
इन सबका इलाज करने को डॉक्टरजी तैयार हुए,
विविध दवा औज़ार बॉक्स ले मोटर कार सवार हुए,
हुआ जो एक्सीडेंट रोड पर, दवा बॉक्स में पड़ी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
हाँ हाँ कितना बयान करू मै इस दुनिया की अजब गति,
भैया आना और जाना है फर्क नही है एक रति,
रतनत्रय को जिसने पाया, बात उसी की खरी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
आशाओं का हुआ खातमा दिली तमन्ना धरी रही
बस परदेसी हुए रवाना प्यारी काया पड़ी रही।।
Credit: @vibhuti_jain