करलो प्रभु गुणगान जी, कर लो भेदविज्ञान जी।
शुद्धातम ही सार है, शेष सर्व निस्सार है। टेक।।
अन्तर्मुख हो निज को ध्यावे, सोई सहज ज्ञान सुख पावे।
प्रभुवर का सन्देश यही, समयसार का सार यही । करलो. ।।1।।
विनाशीक यौवन तन मन धन, आत्म ज्ञान बिन सूना जीवन।
समझो समझो जिनवाणी, विषय कषाय तजो प्राणी।।करलो. ।।2।।
कहती हमसे जिनमुद्रा, धारो धारो जिन मुद्रा।
परिग्रह तो दुःखरूप ही है, आनंदमय जिन रूप ही है। करलो. ।।3।।
जहाँ न कोई आधि-उपाधि, उपसर्गों में सहज समाधि।
नया कर्म आश्रव रुक जाय, पूरव कर्म बंध विनशाय। करलो… ।4।।
सहज अकर्ता ज्ञाता होओ, सर्व कर्म मल क्षण में धोओ।
शिवपद पाओ अविनाशी, अक्षय अनुपम सुख राशि। करलो. ।।5।।
Singer: @Deshna