कल्याणमयी परमात्मा | Kalyanmayi parmatma

कल्याणमयी परमात्मा, कल्याणमयी शुद्धात्मा॥ टेक॥

आओ जानें पहिचानें हम, स्वानुभूति कर आराधें हम।
ये ही सुख का मार्ग है, ये ही मुक्तिमार्ग है॥
दर्शाता परमात्मा, कल्याणमयी शुद्धात्मा॥1॥

अधिक भाग्य से नहीं मिलेगा, समय से पहिले नहीं मिलेगा।
परिणामों से भाग्य जगायें, अपने मन को नहीं भटकायें॥
अनन्य शरण परमात्मा, कल्याणमयी शुद्धात्मा॥ 2॥

मंगलमय ये अवसर आया, लोकोत्तम जिनशासन पाया।
रोम-रोम जिनवर हर्षाया, दर्शन से विश्वास जगाया॥
परमार्थ शरण शुद्धात्मा, कल्याणमयी शुद्धात्मा॥ 3॥

मोह-अंधेरा दूर भगायें, जग-प्रपंच में नहीं उलझाएँ।
रलत्रय हम भी प्रगटायें, निज स्वभाव में ही रम जाएँ॥
स्वयं बनें परमात्मा, कल्याणमयी शुद्धात्मा ॥ 4॥

सत्य-अहिंसा को अपनायें, जिनशासन जग में फैलायें।
धर्म-ध्वजा ऊँची लहरायें, प्रभु चरणों में शीश नवायें॥
धन्य-धन्य परमात्मा, धन्य - धन्य शुद्धात्मा ॥ 5॥

Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
Source: Swarup Smaran

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