कहिवे को मन सूरमा, करवे को काचा |
विषय छुड़ावै और पै, आपन अति माचा || टेक ||
मिश्री-मिश्री के कहैं, मुंह होय न मीठा |
नीम कहैं मुख कटु हुआ, कहुं सुना न दीठा || १ ||
कहनेवाला बहुत हैं, करने को कोई |
कथनी लोक रिझावनी, करनी हित होई || २ ||
कोटि जनम कथनी कथै, करनी बिनु दुःखिया |
कथनी बिनु करनी करै, ‘द्यानत’ सो सुखिया || ३ ||
Artist- पं. द्यानतराय जी