जो आज दिन है | Jo aaj din hai

भजन

जो आज दिन है वह कल ना रहेगा २,
घड़ी ना रहेगी ये पल ना रहेगा ।
समझ सीख गुरु की वाणी फिर को कहेगा। घड़ी०
जग भोगों के पीछे अन्ते काल २ बीते ।
इस आशा तृष्णा के अभी भी सपने रीते हैं ॥
बना मूढ़ कब लौ मन पर चलता रहेगा। घड़ी०
अरे इस माटी के तन पे वृथा अभिमान है तेरा ।
पड़ा रह जायगा वैभव उठेगा छोड़ जब डेरा॥
नहीं साथ आया न जावे कोई संग चले ॥ घड़ी०
ज्ञान दृग खोलकर चीन भेद विज्ञान घट भरले ।
सहज सौभाग्य सुख साधन मुक्ति रमणी सखा वर ले ।
यही एक पद है प्रियवर अमर जो रहेगा ॥ घड़ी०

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