जिनवाणी अमृत रसाल, रसिया आवो जी सुणवा ॥
छह द्रव्यों का ज्ञान करावे, नव तत्त्वों का रहस्य बतावे |
आतम तत्त्व महान रसिया आवोजी ॥(1)
विषय कषाय का नाश करावे, निज आतम से प्रीति बढ़ावे |
मिथ्यात्व का होवे नाश रसिया आवोजी ॥(2)
अनेकान्तमय धर्म बतावे, स्याद्वाद शैली अपनावे |
भवसागर से होवे पार, रसिया आवोजी ॥(3)
जो जिनवाणी सुन हरषाए, निश्चय ही वह भव्य कहावे |
स्वाध्याय तप है महान्, रसिया आवोजी ॥(4)
Audio by @At.Nishtha18