जिनेन्द्र चरण चन्द्र के, सुरेन्द्र आदि वन्दिते।
सकल दुःख निकन्द के, जयति जय जिनेश्वरम्।।टेक।।
मोहगर्व गञ्जनम्, काम, क्रोध भञ्जनम्।
नमामि हे निरञ्जनम्, जयति जय जिनेश्वरम्।।१।।
सर्वश्रेष्ठ शासकम्, सत्य-पथ प्रकाशकम्।
पापपुञ्ज नाशकम्, जयति जय जिनेश्वरम्।।२।।
मोक्षफल प्रदायकम्, सकल विश्व नायकम्।
दीन जन सहायकम्, जयति जय जिनेश्वरम्।।३।।
भक्तकाज सारणम्, सकल दुःख निवारणम्।
भवसमुद्र-तारणम्, जयति जय जिनेश्वरम् ।।४।।