जिनधर्म की डगर पर | Jindharm ki dagar pr

जिनधर्म की डगर पर, बच्चो दिखाओ चल के ।
यह धर्म है अहिंसा, धारो हृदय से बढ़ के ।
जीती कषाएं जिनने, जीती हैं इन्द्रियां भी।
जीती क्षुधा तृषा भी, संयम के पथ पर चल के ।।11। जिन धर्म…

जीता स्वयं को जिसने, ‘जिन’ शब्द कह रहा है।
माने जो ऐसे जिनको, सच जैन वह रहा है ।।
सच्चे बनोगे जैनी, जिनवर के पथ पे चल के ||2|| जिनधर्म…

जीना सभी को प्रिय है, चाहे न कोई मरना।
तरुवर के धर्म जैसा, उपकार सबका करना।
सब में छिपी अहिंसा, जीयो जिलाओ मिल के ||3|| जिनधर्म…

यदि हो अहिंसा प्रेमी, स्वागत करो दिवस का।
दिन में ही लो बातें, दिन में हो भोज सबका।
बन जाओ श्रेष्ठ मानव, कुरीतियां कुचल के ||4|| जिन धर्म…

वृषभादि वीर प्रभु ने, जिन धर्म को जिया है।
जीकर के कोई सिद्ध, अरहंत बन गया है।
जीतो स्वयं के होगे, महावीर तुम भी कल के ||5|| जिन धर्म…

Artist- आर्यिका मृदुमति माताजी