झीनी झीनी उडे रे गुलाल, चालो रे मंदरिया में
चालो रे मंदरिया में, चालो रे मंदरिया में ॥
म्हारा तो गुरुजी आतमज्ञानी,
ज्ञान की जिसने ज्योत जगा दी
ज्ञान का भरा रे भंडार, चालो रे मंदरिया में ॥(1)
वीर प्रभु जी दया के सागर,
महावीर प्रभु जी दया के सागर
शीश झुकाऊ बारम्बार, चालो रे मंदरिया में ॥(2)
वीर प्रभु के चरणों में आये,
आकर चरणों में शीश नवाये
हो रही जयजयकार, चालो रे मंदरिया में ॥(3)