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अहिंसा शान्ति- समृद्धि एवं प्रगति की आत्मा है।
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अहिंसा के बिना शान्ति से जीना तो दूर, शान्ति से मरना (देह-विसर्जन) भी सम्भव नहीं । ‘जो सतावे और को वह सुख कभी पाता नहीं।’
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अहिंसा का आधार सत्य है। अचौर्य, शील एवं अपरिग्रह उसके रक्षक एवं पोषक हैं ।
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चुनाव की पात्रता - प्रत्याशी नशामुक्त, शीलवान, ईमानदार, अपने विषय की योग्यता (लिखित एवं मौखिक परीक्षा में उतीर्ण) वाले, साम्प्रदायिक कट्टरता से दूर हों।
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अराजक तत्त्वों से सम्पर्क द्वारा आत्मसमर्पण कराकर नैतिक जीवन जीने की सुविधाएं एवं अवसर दें।
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सभी नैतिक व्यक्तियों को सम्मान पूर्वक प्रोत्साहन दे।
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सुविधाएं निष्पक्ष रूप से प्रदान की जायें। जाति या वर्ग विशेष के आधार से नहीं।
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सुविधायें पात्रों तक पहुँचाने की पारदर्शी, चुस्त व्यवस्था हो।
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नैतिकता-जन जागरण अभियान चलाये जायें।
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राष्ट्रीय जनजागरण समिति का विस्तार ग्रामीण समिति तक किया जाये।
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शिक्षा एवं चिकित्सा को शुद्ध, सरल एवं सस्ता बनायें।
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सर्वप्रथम शिक्षा के भ्रष्टाचार उन्मूलन का अभियान चलाया जावे।
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कर्तव्य बोध एवं अधिकार सदुपयोग शिक्षा शिविरों का भरपूर आयोजन हो।
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सुधार एवं सुझाव हेतु समय-समय पर प्रतियोगितायें एवं सेमिनार हों।
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न्याय सरल, सस्ता एवं समयावधि में हो।
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अवैध अस्त्र-शस्त्रों का उन्मूलन एवं वैध शस्त्रों पर नियंत्रण हो।
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शराब, नशा, गुटखा, जुआ, अश्लील फिल्म, साहित्य आदि पर कठोर कानून एवं नियंत्रण हो ।
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मानसिक एवं बाह्य प्रदूषण मुक्तता का अभियान चलायें।
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स्वास्थ्य विरुद्ध मिलावटादि षड्यंत्रों के विरुद्ध जन जागरण हो एवं कानूनों के पालन पूर्वक रोक लगे।
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महँगे एवं प्रदर्शनपूर्ण लौकिक एवं धार्मिक आयोजनों में सामाजिक जागृति पूर्वक सुधार हो एवं सुधार हेतु कानून भी बनाये जायें।
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आलस्यपूर्ण विलासी महँगी जीवन शैली से सावधान करें।
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नेक एवं सीमित कमाई करें।
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लघु गृह उद्योगों की शिक्षा, सुविधा, प्रोत्साहन दें।
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ग्रामों के सुधार के लिए दैनिक उपयोगी सुविधऐं :- शिक्षा, आजीविका, चिकित्सा, यातायात, ईंधन, प्रकाश, जल प्रदान करें। शुद्ध खाद्य सामग्री गाँव में निर्मित होकर शहरों में जावे ।
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गाँवों से पलायन पर दृढ़ता से प्रशासनिक नियंत्रण हो ।
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देशी कृषि प्रणाली, जल संग्रह आदि बढ़ायें।
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पशु- पालन हो, परन्तु मारने एवं मांस के लिए नहीं।
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सुरक्षा-सुविधा-सुन्दरता का क्रम ध्यान रखें।
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शील एवं संस्कृति की रक्षा के प्रति जागरूकता लायें एवं कानून बनायें।