31. विवाह निर्देश
(सामाजिक आयोजन समझें)
1. उद्देश्य :- सामाजिक मर्यादायें, संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन, व्यवहार धर्म का योग्य रीति से परिपालन । समान धार्मिक विचारधारा एवं कुलपरम्परा, योग्य वय, स्वास्थ्य (शारीरिक एवं मानसिक) समझ, शील, विनय, सेवा भावना, सादगी, संतोष आदि गुणों को अवश्य देखें।
2. सम्बन्धों का चयन गुरुजन, लड़के एवं लड़की की रुचि आदि का ध्यान रखते हुए करें। दहेज आदि को मुख्य न करें।
3. चयन प्रक्रिया को प्रदर्शन न बनायें। अन्य लोगों से पूर्ण जानकारी लेने के बाद ही वार्ता प्रारम्भ करें। देखना-दिखाना यात्रा या आयोजनों में इस भाँति करें, जिससे निषेध रूप निर्णय होने पर, प्रतिष्ठा को ठेस न लगे। मितव्ययता एवं सादगी का पूर्ण ध्यान रखें। आडम्बर, विलासिता तथा मिथ्या शान से बचें।
4. उदारता, विवाहोपलक्ष्य में, लोकोपकारी, नैतिक एवं धार्मिक आयोजनों में दिखायें।
5. भोजन शुद्ध एवं स्वास्थ्य अनुकूल बनायें। वनस्पति घी, केमीकल रंग, जमीकंद, आचार, बाजारू खाद्य आदि से दूर रहें।
6. भोजन सम्मान पूर्ण विधि से स्वयं परोसें, गिद्ध भोजन पद्धति से दूर रहें।
7. मँहगे कार्ड आदि न छपवायें। मँहगी वाटिका, सजावट, बैण्ड आदि न करें।
8. अनावश्यक फोटो-वीडियो न बनवायें। किसीप्रकार का भारारोपण या खींचतान न करें।
9. संस्कृति के विरुद्ध रात्रि भोजन, रात्रि कार्यक्रम न करें।
10. दिन में, सीमित समय में, साधर्मी एवं सामाजिक प्रतिष्ठित वयोवृद्ध लोगों की उपस्थिति में, मर्यादा सहित योग्य सम्मान, दान, करुणा आदि का उदारता से निर्वाह करते हुए विधि सम्पन्न करें।
11. विवाह प्रक्रिया जैन विवाह विधि से सम्पन्न करें।
12. वर्षगाँठ या तो मनायें ही नहीं अथवा लोकोपकारी आयोजन करें।