जन्म कल्याणक आज-वीर जिनराज
इन्द्र शचिआवती ।
देव देवियाँ आज उतारे आरती
अचिंत्य वैभव निर्झर झरता, बालक जब मुस्काये
कल्पवृक्ष के सुमन सुगंधित, मारग में बिछ जाये;
सुमेरु पर्वत आज, शीश पर ताज, प्रभु बिठावती
देव देवियाँ…।।१।।
भाग्य सितारा चम-चम चमके, गूंजे जय जयकार
महाराजा जी दान लुटायें, हो रहे मंगलाचार;
कुंडलपुर में आज, बजे हैं साज, प्रभु झुलावती
देव देवियाँ…।।२।।