जैनों के करने योग्य कार्य | Jain ke karne yogya kary

जैनों के लिए करने योग्य कार्य:-

1 प्रत्येक गॉंव /शहर में जैन विद्यालय बनवाएं।
2 . जैन हास्पिटल बनवाएं।
3. प्रत्येक जैन का स्वास्थ्य बीमा करवायें।
4 प्रत्येक जैन मन्दिर में वाचनालय बनवाएं।
5. प्रत्येक जैन का स्थायी जैन पहचान पत्र बनवाया जावे। बिना पहचान पत्र के किसी भी जैन मन्दिर /संस्थान में प्रवेश वर्जित हो।
6. सभी जैन मंदिरों , / धर्मशालाओं / विद्यालयों में जैन कर्मचारियों को ही नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाये।
लव जेहाद से जुड़े प्रसंगों पर शक्ति एवं बेटियां से पारदर्शिता की स्थिति बनाई जाए। बेटियों को अपनी बात कहने जैसे विश्वास और मित्रता पूर्ण व्यवहार रखा जाए ताकि बेटियां अपनी मन की बातें शेयर कर सकें। उनके साथ कुछ गलता या बुरा हो रहा है तो उसके लिए गंभीरता से विचार किया जाए एवं जैन बेटियों को जैन संस्कृति के महत्व एवं संस्कार दिए जाएं‌‌ और हर हाल में उन्हें धर्म परिवर्तन से बचाया जाए।
7. प्रत्येक शहर में जैन इधर-उधर अलग-2 काॅलोनियों में बिखरे रहने के स्थान पर जैन काॅलोनी में परिवर्तित हो। ताकि जगह-जगह मन्दिरों का निर्माण न करना पड़े तथा उस क्षेत्र में सघन जैन घनत्व होने से राजनीति में प्रतिनिधित्व मिल सके।
8. नये मंदिरों के निर्माण के स्थान पर गांवों में पुराने मन्दिरों के रखरखाव पर ध्यान दिया जावे व आवश्यकता के अनुसार जीर्णोद्धार किया जावे।
9. जैन प्रतिभाओं को स्नातक प्रथम वर्ष से ही प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी हेतु, प्रशिक्षण हेतु राष्ट्रीय स्तर की प्रत्येक राज्य की राजधानी में जैन प्रशासनिक सेवा अकेडमी बनायी जावे व जो जैनधर्म की संस्कृति एवं महत्व हैं उसकी शिक्षा के लिए शास्त्री आदि प्रशिक्षण दिलवाए जावे।
10. जज / वकील / न्यायापालिका में जैन धर्मावलम्बियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का प्रयास किया जाये।
11. जैन के अलावा अन्य समाज के लोगों को दान बाँटना बन्द किया जावे।
इस गलतफहमी में ना रहें कि सब जैन परिवार अमीर हो गये हैं।
12. समाज में गलत व्यवहार वाले व्यक्तियों को यथासंभव समझाकर उन्हें सही राह पर लाने के प्रयास किया जाना चाहिए बजाय सामाजिक बहिष्कार के।
13. विवाह समारोह में अनावश्यक दिखावा बन्द किया जाना चाहिए। रात्रि विवाह प्रीवेंडिग शूटिंग / जिनमें पुरुष की सहभागिता न हो इस प्रकार के महिला संगीत होने चाहिए। व्यर्थ के भोजन बर्बादी पर रोक लगनी चाहिए। अत्यधिक दिखावे वाले स्टोल जैसे विभिन्न प्रकार के काउंटर आदि की परम्परा बंद होनी चाहिए। कर्ज के दवाब में शादियां नहीं होनी चाहिए।
14. सादगी पूर्ण विवाह किये जाना चाहिए इसमें जैन परिवारों की सहायता के लिए आगे आना चाहिए। दहेज जैसी प्रथा पर अत्यधिक भार नहीं होना चाहिए।
15. जन्म कुंडली मिलान के आधार पर रिश्तों को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए। कर्मोदय की व्यवस्था का विचार कर रिश्तों को जैन के घर ही सहमति दी जानी चाहिए।
16 . प्रथम दो संतान लड़के के बाद होने वाली तीसरी संतान लड़की होने पर विशेष प्रोत्साहन योजना प्रारंभ की जानी चाहिए।
17. युवा उद्यमियों के हेतु 6% वार्षिक / न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण की व्यवस्था की जानी चाहिए जो युवा स्वयं का व्यवसाय आदि करने का विचार रखते हैं उनको प्रोत्साहन एवं सहायता देनी चाहिए। नौकरी करने के लिए ही अपने बेटी-बेटों को दबाव में नहीं रखना चाहिए।
18. प्रत्येक सामाजिक दान में न्यूनतम 20% राशि शिक्षा व चिकित्सा के लिये निर्धारित होनी चाहिए।
19. जैन आपदा कोष का निर्माण किया जाना चाहिए जिससे जैन परिवारों को गंभीर रोग /महामारी/अकाल /बाढ़ आदि आपदाओं में मदद मिल सके। जैनों के लिए सकल जैन समाज का बैंक होना चाहिए जिससे कि जैन अपनी धनराशि का जैनों के हितों के लिए उपयोग एवं सहायता कर सकें।
20. प्रत्येक काॅलोनी /गाँव /शहर में साहसी जैन युवाओं का “वीर रक्षा दल” का गठन किया जाना चाहिए। जो जैन समाज / धर्म सम्पदा पर किसी के भी द्वारा किये गये हमले का पुरजोर जवाब देने में सक्षम हो और सभी जैन तीर्थ एवं जैन कमेटियां इसमें अपने स्तर से सहयोग कर सकें ऐसी योजनाएं एवं नीतियां होनी चाहिए ताकि जैन समाज पर किसी भी प्रकार का आक्षेप या कुदृष्टि डालने वाले लोगों को जैनों की अखण्डता का भान हो सके व अहिंसा, सदाचार व जैन जीवन शैली के सकारात्मक परिणाम विश्वस्तर से देखे जा सकें।
21. जैन को कट्टर जैनी बनना होगा अर्थ है “जैन के लिये जीओ जैन के लिये मरो”।
22. मात्र मन्दिरों के निर्माण से जैन धर्म का विकास होगा ये पूर्ण सत्य नहीं है। जैन समाज के व्यक्ति के विकास पर ध्यान देने से जैनधर्म /जैन समाज का विकास होगा अन्यथा इन मन्दिरों में किराए के पुजारियों से पूजा आदि करवा कर जैनधर्म की आस्था के साथ अविश्वास एवं इसका जैन युवाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।जब आस्था रखने वाले ही नहीं रहेंगे तो मंदिरों के नये नये निर्माण का क्या प्रयोजन रह जाएगा? समाज द्वारा हमारे जैन युवा / युवतियों के शिक्षा / रोजगार/ विवाह समस्या पर ध्यान नहीं दिये जाने से युवा पीढ़ी समाज से दूर होती जा रही है। व जैन संस्कृति को भूल अन्य संस्कृति को अपना कर उसका प्रचार भी कर रही है।
23. आप जहां भी कोई व्यवसाय /उद्योग करते हों, वहां जरूरतमंद जैन युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं व हमारे युवाओं को व्यापार में आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं।
24.जैन बंधुओं के प्रतिष्ठान से खरीदी आदि को प्राथमिकता देवें व उन्हें भी आपसी मेल-जोल के अवसर प्रदान करें। ऑनलाइन डिलीवरी आदि पर व्यर्थ धन का खर्च ना करें। धन के सदुपयोग के लिए मुनिराजों आदि के आहार आदि। श्रावक आदि के सहयोग एवं विनय में चंचल धनराशि को प्रदान करने के प्रयास करें।
25.सरकारी नौकरी लो और संकल्प करो कि “कम से कम दो जैन पुत्रों को रोजगार देने की पुरजोर कोशिश हो”। निजी कम्पनियों के पैकेज की तरफ ना दौड़कर सरकारी संस्थानों में नौकरी को प्राथमिकता दें ताकि राज-काज में जैन समाज की भागीदारी बढ़े एवं समाज के हितों की रक्षा हो सके।
26. किसी भी आंतरिक झगड़े को रोकें और उन्हें मिल कर सुलझाएं।
27. यदि किसी जैन पुत्र/पुत्री का शोषण हो रहा हो तो उसे रोकने में भागीदार बनें।
28. ऐसे काम करें जो जैनियों को संगठित रखने की भूमिका निभाने वाले हों। पंथवाद में बंटने से संकुचित होकर रहने की अपेक्षा सभी के विचारों की भावना का सम्मान कर उन्हें भी अपने प्रति सद्भाव पूर्वक मेल-जोल बनाने के लिए संगठित रखने के प्रयास करें।

विनम्र निवेदन सकल जैन समाज से:-
अगर समाज के लिए सच्ची भावना है तो जैनियों की रक्षा के लिए एकजुट हों और विश्वस्तर पर जैन हितों की चर्चा एवं जैन आदर्शों को स्थापित करने वालों की सहायता एवं अनुमोदना करें व अपने स्तर से उसमें सहभागिता देवें।

:pray:जय जिनेन्द्र :pray:
:rose: mishrimal shrishrimal jain :rose:

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