जय अरिहन्ता तुम्हीं महान | Jai Arihanta Tum hi Mahan

जय अरिहन्ता तुम्हीं महान, जय श्री सिद्धा तुम्हीं महान।
तुझ में हमें दिखाई देती, सहज सुखों की खान ॥

तुम हो विगत सकल अभिलाषा, तुमने जन्म मरण है नाशा।
तुमसे दृष्टि मिलायें गर हम, निजपर का हो ज्ञान ।।(1)

मोक्ष मार्ग का तू परिचालक, द्रव्य भाव मम है इस लायक।
निज अनुभव के आश्रय से हम, पावें पद निर्वाण ॥(2)

ऋद्धि सिद्धियाँ है सर्व हैं झुकती, सोई हुई चेतना जगती ।
समता ज्ञान मिले जैसे ही, शिवरमणी से राम ||(3)

कोटि सूर्य सा ज्ञान तुम्हारा, लघु दीपक हे नाथ हमारा।
झिलमिल दीप शिखा दिखलाये, तुम हो दिव्य महान ॥(4)

जय अरिहन्ता तुम्ही महान। जय श्री सिद्धा तुम्ही महान।
जय जय गुरूवर तुम्ही महान। जय जिनवाणी तुम्हीं महान॥(5)

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