जागो जागो जागो चेतन, तुम्हें जगाने को
मंगल उत्सव आया है, ये बात बताने को।।टेक।।
काल अनादि भटक रहा, और घूमी चारों-गतियाँ,
ये समय है जिंदगी के, लौट न आये घड़ियाँ।।
तू ही तो प्राणी भगवन् है, चेतना लक्षण है-२।।१।।
तू ही ज्ञाता, तू ही दृष्टा, तू ही चिन्मय है हो
अनंत गुणों का एक खजाना, तू ही तन्मय है,
प्राणी तू तो अरस अरूपी, जड़ तन पुद्गल रूपी
तू तो ज्ञानमयी शुद्धातम हो, परमानंद स्वरूपी।।
तू ही तो प्राणी भगवन् है, चेतना लक्षण है।।२।।
तू तो प्राणी जाननहारा, तू ही भगवन है हो
अतुल सुखों का तू है खजाना, तू ही चिन्मय है,
प्राणी तू तो ज्ञान स्वभावी, चिदानंद रसवाला।
तू ध्रुवराज त्रिकाली चेतन, अनुभव आतमवाला।।
तू ही तो प्राणी भगवन् है, चेतना लक्षण है।।३।।
Singer: @Asmita_Jain