जग में श्रद्धानी जीव ‘जीवन मुकत’ हैंगे || टेक ||
देव गुरु सांचे मानैं, सांचो धर्म हिये आनैं |
ग्रन्थ ते ही सांचे जानैं, जे जिन उकत हैंगे || १ ||
जीवन की दया पालैं, झूठ तजि चोरी टालैं |
पर-नारी भालैं नैन, जिनके लुकत हैंगे || २ ||
जीय मैं सन्तोष धारैं, हियैं समता विचारैं |
आगे को न बन्ध पारैं, पाछेसों चुकत हैंगे || ३ ||
बाहिज क्रिया आराधैं, अन्दर सरूप साधैं |
‘भूधर’ ते मुक्त लाधैं, कहूँ न रुकत हैंगे || ४ ||
Artist : कविवर पं. भूधरदास जी