Is it safe to use drinking water without water purifier

Hi, I recently came to know that we should not use water purifier as it kills so much tras jeev.
Then is it safe to use water after filtering with cloth and then boiling?

Yes it is safe to use ground water or river water without purifying from electronic water purifier. But try to avoid consuming it directly only after filtering it one time with cloth.
What we do is-

  1. एक बड़े बर्तन में नल से पानी भरे।
  2. उसमे थोड़ी सी फिटकिरी डाले। (फिटकिरी का use पानी की quantity और गंदगी के हिसाब से करे)
  3. अगले दिन इस पानी को दूसरे बर्तन में नितारे ( पानी खाली करना इस तरह की मिट्टी निचे रहे और ऊपर का साफ पानी ही दूसरे बर्तन में आये) बाकी पानी को अन्य उपयोग में ले सकते हैं।
  4. इस नितारे हुए पानी मे वापस से फिटकिरी डाले और same process करे next day।
  5. फिर नितारे पानी को गलने से छान लें और पीने के लिए उपयोग में ले।
    इस तरह नल से पहले दिन भरा पानी 2 दिन बाद उपयोग में आएगा।
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Better not to waste so much time for ajeev sharir. Simply filter boring water(if well water is not available) with 4 layers of khadi cloth and transfer it to other vessels and boil it and drink for 24 hours. Your body will adapt to this water. I and my family drink this water since last 3-4 years and before that we used to drink only RO water.

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पानी को उबालना - एक अच्छा और स्वाथ्य विकल्प है।

जिज्ञासा- आजकल बाजार में विभिन्न ब्राण्ड के बहुत प्रकार के वाटर प्यूरीफायर उपलब्ध हैं। मैं छना पानी ही पीती हूँ, तो क्या इन प्यूरीफायर प्लान्टों से निकला हुआ जल बिना कपड़े के छन्ने से छाने पी सकती हूँ या नहीं ?

समाधान- जैन शास्त्रों में पानी छानकर पीने का विधान, उस पानी में पाये जानेवाले त्रस जीवों की रक्षा के लिये कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार जिस कुंए से पानी लाया जाए, उसी कुंए में कुण्डेवाली बाल्टी के द्वारा सरलता से पानी छानने के उपरान्त जिवानी का जल क्षेपण करना चाहिये। यदि वह जिवानी का जल ऊपर से डाल दिया जाता है, तो उन जीवों का घात हो जाता है और इससे पानी छानने का वास्तविक अर्थ सिद्ध नहीं होता।

बाजार में जितने भी वाटर प्यूरीफायर हैं, उनमें से किसी में भी ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिसके द्वारा पानी छानने के बाद जिवानी को सुरक्षित मूल स्थान पर पहुँचाया जा सके। अतः व्रती के द्वारा इन वाटर प्यूरीफायर प्लान्टों से निकला हुआ जल पीने योग्य नहीं रहता। इन प्लान्टों में तो जल में पाये जानेवाले त्रस जीव वहीं मरते और सड़ते रहते हैं, अत: इनमें तो और भी अधिक अशुद्धि रहती है।

यदि यह प्रश्न किया जाए कि इन प्लान्टों से निकले हुये जल में त्रस जीव हैं या नहीं? तो इसका उत्तर यह बनेगा कि इन प्लान्टों में कपड़े के छन्ने से अधिक सूक्ष्म पानी छाननेवाली पद्धति का प्रयोग होने से जो पानी प्लान्ट से निकला है, उसमें त्रस जीव नहीं होने चाहिये। देखा जाता है आर. ओ. प्लान्ट से जो जल प्राप्त किया जाता है, उसके एक घड़े भरने में आधा घण्टे से अधिक समय लग जाता है। अतः उस जल में भी एक मुहूर्त के बाद त्रस जीवों की उत्पटिश मानना युक्तिसंगत प्रतीत होता है

वर्तमान में बहुत से साधर्मी भाई बाजार से मिनरल वाटर की बोतल खरीदकर और उसे अच्छा छना हुआ जल मानकर पीने लगे हैं। उनको इस बात पर भी विचार करना चाहिये कि वह बोतल न मालूम कितने दिन पूर्व भरी गई थी ? जैन शास्त्रों के अनुसार तो 48 मिनट बाद उस पानी में त्रस जीवों की उत्पधि होनी ही है। अतः मिनरल वाटर को छना हुआ जल मानकर नहीं पिया जा सकता। -जिज्ञासा समाधान (भाग-2)

अतः purified water अभक्ष्य है।

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