और सबै जग द्वन्द मिटावो I Aur Sabai Jag Dwand Mitavo

और सबै जग द्वन्द मिटावो, लौ लावो जिन आगम ओरी।।टेकII

है असार संसार बन्धकर ये कछु गरज न सारत तोरी।
कमला चपला यौवन सुरधनु, स्वजन पथिक जन क्यों रति जोरी ।।1।। और सबै…

विषय कषाय दुखद दोनों ये, इन तें तोरि नेह की डोरी।
पर द्रव्यनि को तू अपनावत, क्यों न तजे ऐसी बुधि मोरी ।।2।। और सबै…

बीत जाय सागर थिति सुर की, नर पर्याय तनी अति थोरी।
अवसर पाय ‘दौल’ अब चूको, फिर न मिले मणि सागर बोरी ।।3।। और सबै…

Artist- Pt. Daulatram Ji

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