हम सब ज्ञायक हैं | hum sab gyayak hain

हम सब ज्ञायक हैं।
अपना लक्ष्य एक है आहा…हा… एक है हो हो हो
एक है…॥

हम सब के पिता अरहन्त प्रभु और माता जिनवाणी।
सदियों से जिन ने हमको पिलायी है अमृत वाणी ॥
जिनधर्म की रक्षा के खातिर हम सब कष्ट उठा लेंगे।
लहर-लहर इस झंडे को हम कभी न गिरने देंगे।
हाँ हाँ हाँ नहीं गिरने देंगे।हम सब ज्ञायक… ॥१॥

सिद्ध प्रभु आदर्श है और यति हमारे लघुनन्दन ।
हम भी अशरीरी सम हैं, है ऐसे दिव्य वचन ।।
हम सम्यग्दर्शन प्राप्त करेंगे यह विश्वास हमारा है।
सुंदर-सुंदर सिद्धशिला पर हम भी राज्य करेंगे।
हाँ हाँ हाँ… करेंगे। हम सब ज्ञायक… ॥२॥

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