हम न किसी के | Hum Naa Kisi Ke

हम न किसी के कोई न हमारा, झूठा है जगका व्यवहारा |
तनसम्बन्धी सब परिवारा सो तन हमने जाना न्यारा ||

पुण्य उदय सुखका बढ़वारा, पाप उदय दुःख होत अपारा |
पाप पुण्य दोऊ संसारा, मैं देखन जानन हारा ||(1)

मैं तिहुँ जग तिहुँ काल अकेला, पर संजोग भया बहु मेला |
थिति पूरी करि खिर खिर जांहि, मेरे हर्ष शोक कछु नाहीं ||(2)

राग भावतें सज्जन जानें, द्वेष भावतें दुर्जन मानें|
राग द्वेष दोऊ मम नाहीं, ‘द्यानत’मैं चेतनपदमाहीं ||(3)

Artist - श्री द्यानतराय जी

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