ऐसे मनायें रक्षा बंधन | How to celebrate Rakshabandhan

यह महापर्व मुनिराजों की रक्षा का पावन पर्व है। इस दिन को भाई-बहन के पर्व से जोड़ने से मुनिराजों का महत्व कम हो जाता है। हम मनिराजों को भूल जाते हैं। तो क्या करें -

1. प्रातः जल्दी उठकर मुनिराजों का स्मरण करें और भावना भायें कि कभी भी दिगम्बर मुनिराजों पर और ज्ञानीजीवों पर कोई संकट न आये।

2. स्नान आदि कार्य करके जिनमंदिर जायें और आचार्य अकम्पन आदि की रक्षाबंधन सम्बन्धी पूजन करें।

3. प्रातः 11 बजे के पूर्व कुछ भी न खायें क्योंकि इस दिन मुनिराजों को उपसर्ग दूर के बाद आहार मिला था। यही भाव रखें कि मनिराजों के आहार के पश्चात ही भोजन ग्रहण करेंगे। हस्तिनापुर के साधर्मियों ने तो उपसर्ग के बाद से ही आहार-पानी का त्याग कर दिया था।

4. जिनमंदिर में गोष्ठी, विधान, प्रवचन आदि का आयोजन हो रहा तो अवश्य जायें।

5. आपस में एक-दूसरे को रक्षा सूत्र बांधे। भाई-भाई को, बहन-भाई को, भाई-बहन को, बेटे अपने माता-पिता को रक्षा सूत्र बांधे। यह मुनिराजों की रक्षा का प्रतीक है।

6. यदि बहन भाई को राखी बांधती है तो बहन अपने भाई से धन आदि मांगने के बजाय एक नियम दिलावे। जैसे- रात्रि भोजन त्याग, आलू-प्याज आदि जमीकंद का त्याग, जिनमंदिर का नियम, दान का नियम, स्वाध्याय का नियम आदि जितनी सामर्थ्य हो उतना नियम अवश्य लेवें।

7. रात्रि में कुछ भी न खायें और सोते समय आंख बंद करके रक्षाबंधन की घटना को[ याद करें और संकल्प करें यदि जिनधर्म या धर्मात्मा जीवों पर कभी कोई संकट आयेगा तो हम पूर्ण शक्ति के साथ संकट दूर करने का प्रयास करेंगे।

8. विचार करें कि वीतरागी दिगम्बर साधु जो कि आत्मा की साधना करते हैं यदि पाप के उदय से उन पर भी संकट आ सकता है तो हमारे पाप का उदय आये तो इसमें क्या आश्चर्य है? जैसे सात सौ मुनिराज संकट आने पर अपनी आत्मा में लीन हो गयेथे वैसे ही हम पाप का उदय आने पर शांति और समता धारण करेंगे।

Source: Chehkti Chetna Edition 11

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