हे जिन तुम गुन | Hey jin tum gun

हैं जिन तुम गुन, हो जिन तुम गुन
हे जिन तुम गुन, अपरम्पार
जिन चन्द्रोज्जवल अविकार
स्वामी जिन चन्द्रोज्जवल अविकार |

जबै तुम गरभमाहि आये-२
तबै सब सुरमुनी हर्षाये-२
रतन नगरी में बरषाए-२
तुम अमित अमोघ अपार
स्वामी तुम अमित अमोघ अपार ||

जन्म प्रभु जब तुमने लीना-२
न्हवन पाण्डुक पर हरी कीना-२
भक्ति करी सची सहित भीना-२
सब बोलो जय जयकार-२
स्वामी सब बोले जय-जयकार

जगह क्षणभंगुर जब जाना-२
भये तब यती न गन वाना-२
स्तवन लौकांतिक सुर ठाना-२
तज राज पाट का भार
स्वामी तज तज राज पाट का भार

घातिया प्रकृति जब नासी-२
चराचर वस्तु सकल भासी-२
हुई तब धरम वृष्टि खासी-२
तुम केवलज्ञान भंडार
स्वामी तुम केवलज्ञान भंडार

अघातिया प्रकृति जो विघटाई-२
तबहि प्रभु शिवकांता पाई-२
तुम तीन लोक सरदार
स्वामी तुम तीन लोक सरदार
पार गणधर हूँ नहिं पावै-२
कहाँ लौ “भागचंद” गावै-२
चरण सुरनर तुमरे ध्यावै-२
तुम भवसागर से पार
स्वामी तुम भवसागर से पार
हे जिन…
रचयिता: भागचंद जी