हे स्याद्वाद माता | He Swadwad Mata

हे स्याद्वाद माता…

हे स्याद्वाद माता, हम शरण लही तेरी ।
करुणाकर समरस से, भव भव की मिटे फेरी ।॥ टेक ॥

निज वैभव भूला था - माँ तुमने बताया है,
विष विषय बताकरके, सन्मार्ग दिखाया है,
शिव मार्ग चलूँ मैं माँ, हो स्वानुभूति चेरी ।।1।।

मिथ्यात्व कषाय मयी, भय मोह मिटाने को,
षट् द्रव्य धर्म सत् को, नय पक्ष बताने को,
माँ आप ही दरपण हो - पुरुषार्थ निधि मेरी ||2||

चहुँगति से तिराने को - चारों अनुयोगमयी ।
रत्नत्रय नौका हो - और द्वादशांग जिनजी ।
हमको भी तरना है - संसार सिन्धु फेरी ॥3॥

एकान्तवाद तम को - तुम ज्ञान किरण सविता
हम स्याद्वादमय हों - पी शांति सुधा शुचिता,
सन्मति सुख पाने को - माँ विनय भक्ति तेरी ।।4।।