धम्मक-धम्मक आता हाथी,
धम्मक-धम्मक जाता हाथी।
मुनि के दर्शन करता हाथी,
सम्यक् दर्शन लेता हाथी।।
देख-देख कर चलता हाथी,
जीवों की रक्षा करता हाथी।
शील धर्म को पाले हाथी,
सूखे पत्ते खाता हाथी।।
अंदर में क्या करता हाथी,
यह तो नहीं बताता हाथी।
धम्मक-धम्मक आता हाथी,
देव गति को जाता हाथी।।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी