गागर अमृत की भर लाईं । Gaagar Amrit Ki Bhar Laaein

गागर अमृत की भर लाईं, माता श्री जिनवाणी आईं।
सुन जिनवर वचन हरषाओ रे ।।

आओ अमर तत्त्व को ध्याओ, सिद्ध सरीखा निज को पाओ।
सुन जिनवर वचन हरषाओ रे ।।टेक।।

जल निर्मल है, मल को हटाओ जी हटाओ।
आश्रव भाव अलग ही पाओ जी पाओ जी।।

उज्ज्वल अविचल आतम पाओ, अपना है अपने में जाओ ।। सुन जिनवर वचन… ।।1।।

आओ जिनवाणी दर्पण निहारो जी निहारो।
लोकालोक को अपने में पाओ जी पाओ जी ।।

भवसागर गोखुर में पाओ, आओ द्वादशांग मन लाओ ।। सुन जिनवर वचन…।।2।।

आतम ज्ञान में मन को लगाओ जी लगाओ।
निज आतम में आनंद पाओ जी पाओ जी ।।

रत्नत्रय रंग में रंग जाओ, ध्याओ, गाओ और अपनाओ ।। सुन जिनवर वचन… ।।3।।