एक तुम्हीं आधार हो जग में, अय मेरे भगवान, कि तुम-सा और नहीं बलवान।
सम्हल न पाया, गोते खाया, तुम बिन हो हैरान, कि तुम-सा और नहीं बलवान ।।टेक।।
आया समय बड़ा सुखकारी, आतम बोध कला विस्तारी।
मैं चेतन, तन वस्तु न्यारी, स्वयं चराचर झलकी सारी।।
निज अंतर में ज्योति ज्ञान की, अक्षय निधि महान ।।कि तुमसा और नहीं…।।1।।
दुनिया में इक शरण जिनन्दा, पाप पुण्य का बुरा ये फंदा।
मैं शिव भूप रूप सुख कन्दा, ज्ञाता दृष्टा तुम-सा बंदा ।।
मुझ कारज के कारण तुम हो, और नहीं मतिमान ।।कि तुमसा और नहीं…।।2।।
सहज स्वभाव भाव दर्शाऊँ, पर परिणति से चित्त हटाऊँ।
पुनि-पुनि जग में जन्म न पाऊँ, सिद्ध समान स्वयं बन जाऊँ।।
चिदानंद चैतन्य प्रभु का, है सौभाग्य प्रधान ।।कि तुमसा और नहीं…।।3।।
Singer - @Atmarthy_Ayushi_Jain