एक था मेंढक फूल लिए | Ek tha mendak phool liye

एक था मेंढक फूल लिए, कुआँ किनारे सोच रहे,
प्रभु दर्शन को जाना है, फुदक फुदक कर जाते थे,
नर नारी सब जाते थे, बच्चे भी मुस्काते थे,
हाथी ऊपर बैठ कर, राजाजी एक जाते थे,
कोई न देखे भीड़ में, मेंढक दब गया भीड़ में,
प्रभु पूजा के भाव से, मेंढक पहुंचा स्वर्ग में,
समवशरण की आन में, वीर प्रभु के सामने,
राजाजी से पहले आया, सम्यक्दर्शन उसने पाया |

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