राग ख्याल कान्हड़ी
एजी मोहि तारिये शान्तिजिनंद।॥ टेक ॥
तारिये तारिये अधम उधारिये, तुम करुना के कंद ॥ १ ॥
हथनापुर जनमैं जग जानेैं, विश्वसेन नृपनन्द ॥ २ ॥
धनि वह माता एरादेवी, जिन जाथे जगचन्द॥ ३ ॥
‘भूधर’ विनवै दूर करो प्रभु, सेवक के भव-द्वन्द ॥ ४ ॥
अर्थ
ऐ शान्तिनाथ भगवान! मुझको तारो, मुझको पार लगाओ। आपने बहुत से पापियों का उद्धार किया है, उन्हें पार किया है, मुझको भी तारो (पार लगाओं)। आप तो करुणा के कंद हो, पिंड (समूह) हो। सारा जगत जानता है कि आप हस्तिनापुर नरेश विश्वसेन के पुत्र हैं। आपकी जन्मदात्री माता एरादेवी धन्य हैं जिन्होंने आप जैसे जगत- चन्द्र को जन्म दिया।
भूधरदास विनती करते हैं कि हे प्रभु! इस सेवक को भवजाल अर्थात् संसार के जाल से मुक्त करो।
भूधर भजन सौरभ