दो घड़ी निजनाथ के नज़दीक में आओ, अपनी प्रभुता देख लो, बाहर न भरमाओ ।
दो घड़ी बस दो घड़ी नज़दीक में आओ…
दो घड़ी निजनाथ के नज़दीक तो आओ, प्रभु की प्रभुता देख लो, बाहर न भरमाओ ॥
प्रभुता को जो देखते वो समकित कहाते, प्रभुता को जो भोगते वो सिद्ध कहाते ।
प्रभुता की ही बात की श्रद्धा तनिक लाओ, अपनी प्रभुता देख लो बाहर न भरमाओ ॥(1)
देह आदि में रहते हुए भी प्रभुता नहीं जाती, सब कर्मों में रहते हुए नहीं हीनता आती।
प्रभुता से संपन्न हूँ ऐसा अनुभव लाओ, प्रभु की प्रभुता देख लो, बाहर न भरमाओ ॥(2)
प्रभुता को भूल कर ही भव-भव में भ्रमाते, हीनता अनुभवने से ही हीन कहाते ।
प्रभुता का अनुभव करो और प्रभुता प्रगटाओ, अपनी प्रभुता देख लो, बाहर न भरमाओ ॥(3)
दो घड़ी बस दो घड़ी…
दो घड़ी निजनाथ के नज़दीक में आओ, अपनी प्रभुता देख लो, बाहर न भरमाओ
Artist: बाल ब्र. पं श्री सुमत प्रकाश जी
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