Digital जिनवाणी की विनय

यथायोग्य विनय रखना चाहिए।
एक बात यह भी है कि जिस प्रकार ग्रंथ में स्थापना निक्षेप के कारण योग्य व्यवहार संभव है, उस प्रकार यहां संभव नहीं है। ग्रंथ में तो शास्त्र जी की स्थापना की जाती है परंतु हम मोबाइल/अन्य डिजिटल माध्यम को ग्रंथ के रूप में स्थापित नहीं कर सकते हैं। इतना अवश्य है कि मोबाइल में जब जिनवाणी संबंधी कुछ भी हो, तब थोड़ा विवेक पूर्वक प्रवृत्ति हो। चूंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग सभी का अलग अलग है, उस विवेक का individually develop होने का ही अवसर है।

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