धन्य-धन्य आज समय महा | Dhanya-dhanya aaj samay mahasukhkaar hai

(तर्ज : धन्य-धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है… )

धन्य-धन्य आज समय महा सुखकार है।
जानें हम अपना ही सहज समयसार है॥ टेक॥

देह भिन्‍न, कर्म भिन्‍न, रागादि भिनन हैं,
दर्श-ज्ञान-चारित्र तो निज से अभिनन हैं।
ज्ञान मात्र अनेकान्तमयी तत्त्व सार है॥1॥

सहज आनंदमय, परम आनंदमय,
ज्ञान आनंदमय, नित्य. आनंदमय।
सर्वांग आनंदमय, आत्मा ही सार है॥ 2॥

इष्ट या अनिष्ट की कल्पना नशाई है,
जग से उदासी सहजरूप आई है।
आत्मलीन परिणति सु हुई नियमसार है॥ 3॥

सन्तुष्ट अपने में, सहज तृप्त अपने में,
मुक्तिमार्ग अपने में, मुक्ति भी अपने में।
सर्वार्थसिद्धि मय शुद्धात्मा सार है॥ 4॥

दर्शाया प्रभुवर ने, समझाया गुरुवर ने,
परम उपादेय गाया अहो! जिन-आगम ने।
स्वानुभव प्रमाण अहो! परम उपकार है॥ 5॥

Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
Source: स्वरूप-स्मरण

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