देख्या बीच जहान में |
कोई अजब तमासा जोर, तमासा सुपने का सा || टेक ||
एकौं के घर मंगल गावैं, पूरी मन की आसा |
एक वियोग भरे बहु रोवैं, भरि-भरि नैन निरासा || १ ||
तेज तुरङ्गनि पै चढ़ि चलते, पहिरैं मलमल खासा |
रङ्क भये नागे अति डोलैं, ना कोइ देय दिलासा || २ ||
तरकैं राज तखत पर बैठा, था खुशवक्त खुलासा |
ठीक दुपहरी मुद्दत आई, जंगल कीना वासा || ३ ||
तन धन अथिर निहायत जग में, पानी माहिं पतासा |
‘भूधर’ इनका गरब करैं जे, धिक तिनका जनमासा || ४ ||
Artist : कविवर पं. भूधरदास जी