सोलहकारण भावना नाम
दर्शन विशुद्धि विनय सम्पन्नता
निरतिचार शीलव्रत, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग
संवेग अरू शक्तिस्त्याग, शक्ति तप जानना
साधु समाधि, वैयावृत्ति मंगलकारी मानना
अरहंतभक्ति, आचार्यभक्ति, बहुश्रुत प्रवचनभक्ति
आवश्यक परिहाणि, मार्ग प्रभावना
प्रवचन वात्सल्य, सोलह कारण भावना
रचयिता-: बा.ब्र. श्री रवींद्र जी ‘आत्मन्’
Source: बाल काव्य तरंगिणी