चिंटू मिंटू अक्सर लड़ते, बात-बात में खूब झगड़ते।
चिंटू ने मिंटू को पीटा, चुटिया पकड़ी खूब घसीटा।।
मिंटू ने चिंटू को पकड़ा, पटक-पटक धरती पर रगड़ा।
दोनों के ही सिर झन्नाये, दोनों के दादाजी आये।।
लड़ने के सब दोष गिनाये, प्रेम मित्रता के गुण गाये।
फिर दोनों का मेल कराया, चिंटू मिंटू ने सुख पाया।।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी