- आत्मा है हितकारी,
- मोह की लगी बीमारी,
- कर्म पर करे सवारी,
- गति में भ्रमती भारी,
- पाप में गंवायें काल,
- द्रव्यों को जान निहाल,
- तत्त्त का करके ख्याल,
- द्रव्य का लेकर थाल,
- नवधा भक्ति से दिया आहार,
- दस धर्मों का करो विचार,
मिल बैठकर करो विचार,
जिससे हो आतम उद्धार।।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी