खोटे देव कभी नहीं भजना, खोटे गुरु से दूर से तजना।
खोटी पुस्तक कभी न पढ़ना, खोटे वचन कभी नहीं सुनना।।
खोटे भाव न मन में लाना, कभी न खोटी बात बनाना।
खोटी चेष्टा कभी न करना, खोटी आदत कभी न रखना।।
खोटी संगति कभी न करना, खोटी दृष्टि कभी न धरना।
खोटे काम दूर से तजना, खोटे धंधे कभी न करना।।
खोटा सिक्का नहीं चलाना, खोटी चाल कभी न चलना।
खोटे वेश कभी न बनाना, खोटे मार्ग कभी न जाना।।
खोटी सलाह कभी नहीं देना, खोटी चिंता में नहीं खोना।
सम्यक् तत्त्वज्ञान प्रकटाना, दुर्लभ नर भव सफल बनाना।।
Artist: बाल ब्र. श्री रवीन्द्रजी ‘आत्मन्’
Source: बाल काव्य तरंगिणी