चेतन राजा कहाँ गये थे ?
देह में छुप कर सो रहे थे।
चार गति में रो रहे थे,
मोक्ष में जाकर हँस रहे थे।।
मंदिरजी में आना तुम,
परमातम सम ध्याना तुम ।
रलत्रय को पाना तुम,
मुनिराज बन जाना तुम ।।
जंगल में चले जाना तुम,
आतम ध्यान लगाना तुम,
अष्ट करम को नाश के,
मोक्षपुरी में जाना तुम ।।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी