Kya nigodiya jeev panch indriya ho sakte hai kya agar nahi toh kitne indriya jeev hote hai
निगोदिया जीव तो एक इन्द्रिय ही होते है। बाकी समूर्च्छन तो पंचेन्द्रिय जीव भी होते है।
क्या समूर्च्छन संज्ञी हो सकते है?
जी, समूर्च्छन मनुष्य संज्ञी ही होते है।
समूर्च्छन जीव संज्ञी पंचेन्द्रिय होने पर भी मन रहित होते हैं। निगोदिया जीव साधारण वनस्पति के भेद होने से एकेन्द्रिय ही हैं क्यूकि वनस्पति एकेन्द्रिय का भेद है।
मन के सद्भाव के कारण जिन जीवों में शिक्षा ग्रहण करने व विशेष प्रकार से विचार, तर्क आदि करने की शक्ति है वे संज्ञी कहलाते हैं। (Source Jainkosh)
How is it possible to be संज्ञी without मन? Any reference?
गोमटसार जी जीवकाण्ड की गाथा 133 के प्राण प्रकरण में किस जीव के कितने प्राण होते हैं उसमें अपर्याप्तक समूर्च्छन मनुष्य के 7 प्राण होते है पांच इंद्रिय , काय बल and आयु ये 7 प्राण होते हैं।
संज्ञी जीव कहते ही उसे हैं जिसके मन प्राण हो।
Sammurchan पंचेन्द्रिय मनुष्य लब्धि अपर्याप्तक ही होते हैं जिनके मन , वचन प्रवृत्ति , और श्वास उच्छ्वास प्राण का आभव होता है।
Dwidal 2indriya hote hai kya
हाँ, द्विदल में दो इन्द्रिय आदि त्रस जीवों की उत्पत्ति होती है।
ऊपर लब्धि अपर्याप्तक मनुष्यों को सैनी कहा था । सैनी होने पर भी मन का आभाव?
यह कथन नैगम नय का है
qki उनके पर्याप्ति तो होना प्रारम्भ हो गयी है but आयु पूर्ण होने से पूरी नहीं हो पाती है इस अपेक्षा कथन किया है।
गोमटसार जी जीवकाण्ड की गाथा 133 के प्राण प्रकरण में किस जीव के कितने प्राण होते हैं उसमें अपर्याप्तक समूर्च्छन मनुष्य के 7 प्राण होते है पांच इंद्रिय , काय बल and आयु ये 7 प्राण होते हैं।
इस प्रकरण में 7 प्राण है, इसमे मनोबल का अभाव है। अर्थात मन नही होता है। अगर जीव अपर्याप्तक है तो उसकी शरीर एवं इन्द्रिय पर्याप्ति पूर्ण नही हुई है। तो फिर 7 प्राण कैसे संभव है?
शरीर/इन्द्रियाँ आदि बनना प्रारम्भ हो जाता है अतः 7 प्राण और प्रारम्भ हुई पर्याप्तियाँ पूर्ण नहीं होती हैं, अतः अपर्याप्तक।
इंद्रियों का क्षयोपशम पाया जाता है। क्षयोपशमरूप शक्ति विग्रह गति में ही प्रारंभ हो जाती है उसे इंद्रिय प्राण कहा जाता है। वह अपर्याप्त मनुष्य के भी पाए ही जाते हैं।
Answer as received by Pt. Vikas ji Chhabra, Indore.