बोलो जयजयकार बोलो जिनवाणी सुखकार,
जयजयकार जयजयकार, बोलो जिनवाणी सुखकार ।।टेक।।
तू एकांत निशाने वाली, अनेकांत दर्शाने वाली।
मुक्तिमार्ग बतलाने वाली, नाशक मिथ्याचार ।।जयजयकार…।।१।।
तुझसे ही जग में उजियाला, तू पवित्र श्रुतज्ञान निराला।
है शुभ गुण मण्डित मणिमाला, तू जग का श्रृंगार।। जयजयकार…।।२।।
तीर्थंकर प्रभु की है वाणी, अंजुली भर-भर पीवें ज्ञानी।
आत्मज्ञान पावें भवि प्राणी, तू जग का आधार ।।जयजयकार…।।३।।
सम्यग्दर्शन मित्र हमारा, सम्यकज्ञान विचित्र हमारा।
सत् सम्यक्चारित्र हमारा, मुक्तिमार्ग सुखकार ।।जयजयकार…।।४।।
माँ हमको स्वात्माभिमान दे, रत्नत्रय का सहज दान दे।।
कर्म-विनाशक विमल ज्ञान दे, वरद स्व-पाणि पखार ।।जयजयकार…।।५।।
तू ही रक्षक जननि हमारी, तन-मन-धन तुझ पर बलिहारी।
पावें निजस्वभाव अविकारी, वंदन बारम्बार ।।जयजयकार…।।६।।
Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’