भगवत नाम सुमर कर खाना।
दीन दुखी को देकर खाना।
कड़ी भूख लगने पर खाना।
भोजन खूब चबाकर खाना।
चित्त सुखी रखना तब खाना।
नियत समय आने पर खाना।
जैसा पचता वैसा खाना।
पच न सके वह कैसा खाना।
बार-बार मत खाना खाना।
चलते-फिरते कभी न खाना।
मेहनत कर जल्दी मत खाना।
अधिक न मीठा खट्टा न खाना।
अपने परिचित घर का खाना।
गन्दा और अभक्ष्य न खाना।
दिन छिपने पर कभी न खाना।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी