भावना की चुनरी | Bhavna Ki Chunri

भावना की चुनरी ओढ़ के जिन मंदिर में आवजो रे,
जिन मंदिर में आव जो रे

आवजो आवजो आवजो रे,
सारी नगरी बुलावजो रे…जिन मंदिर में आवजो रे।
हो… भावना की चुनरी ओढ़ के…

श्रद्धा के रंग से रंग लो चुनरिया, ज्ञान गुणों से जड़ी,
हो… मंगल उत्सव आज प्रभु का, होगी प्रभावना बड़ी।
हो… लेके श्रद्धा अपार आप आवजो रे,
आप आवजो आवजो आवजो रे,
सारी नगरी बुलावजो रे… जिन मंदिर में आवजो रे।
हो… भावना की चुनरी ओढ़ के…||(1)

वीतरागता उर में धारी, वेश दिगंबर लिया,
हो… जग को मुक्ति मार्ग बताया, जग का कल्याण किया,
हो… लेके श्रद्धा अपार आप आवजो रे,
आप आवजो आवजो आवजो रे,
सारी नगरी बुलावजो रे… जिन मंदिर में आवजो रे।
हो… भावना की चुनरी ओढ़ के…||(2)

घनन घनन घन घंटा बाजे ,शंख नगाडे बजे,
हो…वीर प्रभु का मंगल महोत्सव, स्वर्ग सी धरती सजे।
हो…लेके श्रद्धा अपार आप आवजो रे,
आप आवजो आवजो आवजो रे,
सारी नगरी बुलावजो रे…जिन मंदिर मे आवजो रे।
हो…भावना की चुनरी ओढ के…॥(3)

Artist - अज्ञात


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